
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका के 20-सूत्रीय गाज़ा प्लान के समर्थन में मतदान किया और प्रस्ताव ध्वनि बहुमत से पास हो गया। योजना के केंद्र में है—एक नई International Stabilization Force (ISF), जो क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगी।
मतदान में 13 देशों ने समर्थन दिया, किसी ने विरोध नहीं किया। हाँ, रूस और चीन ने दूरी बनाकर बैठना ही बेहतर समझा—यानि “हम देखें भी और उलझें भी नहीं” वाला स्टाइल।
ISF: नई अंतरराष्ट्रीय फ़ोर्स, बड़ा जिम्मा
अमेरिका के अनुसार, कई देशों ने इस नई फ़ोर्स में सहयोग की रुचि दिखाई है। ISF का काम होगा— इसराइल और मिस्र के साथ समन्वय। फ़लस्तीनी पुलिस के साथ सीमा सुरक्षा और सबसे विवादित हिस्सा—हमास व अन्य समूहों का स्थायी डिसआर्ममेंट।
यानी “Security reboot in Gaza — International edition.”
UN का बयान: Ceasefire को मजबूती मिलेगी
UN महासचिव के प्रवक्ता ने इस प्रस्ताव को “युद्धविराम को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम” बताया। दुनिया का संदेश साफ—गाज़ा में चल रहा संघर्ष किसी न किसी तरह नियंत्रण में आए, बस यही प्राथमिकता है।

हमास ने प्रस्ताव को ठुकराया: ‘हमारे अधिकार छीनने की कोशिश’
जैसा अनुमान था—हमास ने प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया। उनका कहना है कि यह प्लान फ़लस्तीनियों के अधिकारों को नज़रअंदाज़ करता है और “गाज़ा पर अंतरराष्ट्रीय संरक्षक प्रणाली थोपता है।”
हमास ने यह भी लिखा— ISF को दिया गया डिसआर्ममेंट जैसा रोल, इसकी ‘निष्पक्षता’ को खत्म करता है। सरल शब्दों में— “हम पर किसी की निगरानी हम स्वीकार नहीं करते।”
आगे क्या? Middle East की शतरंज में नया मोड़
यह प्रस्ताव क्षेत्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। UN का समर्थन, अमेरिका का नेतृत्व और हमास का विरोध— तीनों मिलकर संकेत देते हैं कि आने वाले दिनों में गाज़ा एक नए अंतरराष्ट्रीय ढांचे की ओर बढ़ सकता है। लेकिन क्या यह प्लान जमीन पर काम करेगा?
यह सवाल उतना ही कठिन है जितना कि गाज़ा संकट का हल।
